दशहरा विशेष : मंदसौर में रावण को पूजने की परंपरा, नामदेव समाज देता है रावण को जमाई का दर्जा

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मंदसौर। दशहरे के अवसर पर पर जहां देशभर में रावण के पुतले का दहन किया जाता है। वहीं, नामदेव समाज के लोग मंदसौर के खानपुरा स्थित रावण की प्राचीन प्रतिमा की पूजा-अर्चना करते हैं। यहां पर रावण को जमाई का दर्जा दिया गया है। गांव की महिलाएं जमाई राजा रावण की प्रतिमा के सामने से घूंघट कर के निकलती हैं।

दरअसल, नामदेव समाज रावण की पत्नी मंदोदरी को अपनी बेटी मानते है, ऐसा कहा जाता है कि मंदोदरी मंदसौर की थी और नामदेव समाज की बेटी थी। इसीलिए रावण को जमाई जैसा सम्मान दिया जाता। दशहरे के दिन यहां दिन में धूमधाम से रावण की पूजा की जाती है, फिर शाम में रावण के पुतले का वध किया जाता है।

मंदसौर के दामाद रावण की मूर्ति के सामने अक्सर महिलाएं घूंघट डाले बिना नहीं जाती हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि ये मालवा की संस्कृति है, जहां जमाई को आदर सम्मान देकर महिलाएं उनके सामने घूंघट कर के ही जाती है।

बीमारियां दूर होने का दावा

समाज के अशोक बघेरवाल ने कहना है कि यहां रावण के दाएं पैर में लच्छा बांधने से कई तरह की बीमारियां दूर होती है। मान्यता है कि रावण की प्रतिमा के दाएं पैर में लच्छा बांधकर मन्नत मांगने से पूरी हो जाती है। मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु दशहरा पर पूजा कर चूरमा-बाटी का भोग लगाते हे।

वहीं, एक और मान्यता है कि अगर कोई बीमार व्यक्ति रावण के पैरों में लच्छा बांधता है, तो बीमारियां ठीक हो जाती है। दशहरे के दिन यहां कई लोग आते हैं और रावण के पैरो में लच्छा बांध कर अपने ऊपर आई विपत्तियों दूर करने के लिए प्रार्थना करते हैं।

नपा की देखरेख में प्रतिमा

मंदसौर नगर के खानुपरा में रावण की बहुत बडी प्रतिमा है पहले ओर विशाल प्रतिमा थी लेकिन समय के साथ वह क्षतिग्रस्त हो गई,बाद में नगर पालिका मंदसौर ने नई प्रतिमा का निर्माण किया गया प्रतिवर्ष इस प्रतिमा पर रंग रोगन का कार्य नगर पालिका द्वारा किया जाता है।

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